Nanda Naee

0
54
Shri Dwarkadhish Maharaj Darshan Mathura
Shri Dwarkadhish Maharaj Darshan Mathura

नंदा नाई

एक नाई जिसका नाम नंदा था वह एक कृष्ण भक्त था सुबह उठकर कृष्ण की सेवा करता उन्हें भोग लगाता कीर्तन करता फिर अपने काम पर निकलता था सबसे पहले राजा की हजामत करता था क्योंकि कि राजा को दरबार जाना होता था। राजा की हजामत के बाद नगर के लिए निकलता था। एक दिन कृष्ण सेवा के बाद कीर्तन करते करते कृष्ण के ध्यान में खो गया। पत्नी ने देर होते देख और राजा के क्रोध की बात सोचकर नंदा को झंझोरते कहा अजी सुनते हो राजा के दरबार जाने का समय हो गया है राजा की हजामत करनी है राजा क्रोधित हो जायेंगे।

नंदा ने जल्दी अपना सामान लिआ और महल की तरफ चल दिया महल पहुंचा और वहां से राजा दरबार के लिए निकल रहे थे राजा ने नंदा को देखकर कहा अभी तो हजामत कर गये क्या तुम्हे कोई परेशानी है या किसी चीज आवश्यकता है नंदा ने कहा जी नहीं मुझे लगा मैं शायद कुछ भूल रहा था। नंदा मन में सोचने लगा मैं तो अभी आ रहा हूं मैं तो कीर्तन में मुग्ध था तो राजा की हजामत किसने की। नंदा को मन मे विचार आया मेरी लाज रखने और राजा के क्रोध से बचाने मेरे कृष्ण ही मेरे रूप में आये होंगे।

ईश्वर कहते हैं डर मत मैं तेरे साथ हूं।
और कही नहीं तेरे आस पास हूं।।
आँखे बंद करके मुझे याद कर।
और कोई नही मैं तेरा विश्वास हूँ।।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here