Mahakaal Jyotirlinga Ujjain Temple

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Mahakaal Jyotirlinga Ujjain
Mahakaal Jyotirlinga Ujjain

महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर

भारत के हृदयस्थल मध्यप्रदेश में उज्जैन के मालवा क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन नगर है जो की क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर वसा हुआ है। प्राचीन काल में इसे उज्जयिनी कहा जाता था। जैसा की महाभारत में वर्णित है उज्जयिनिं नगर अवन्ती राज्य की राजधानी था। उज्जैन सात पवित्र तथा मोक्षदायिनी नगरियों में से एक है इन मोक्षदायिनी नगरियो के नाम इस प्रकार हैं – अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार, द्वारका एवं कांचीपुरम। उज्जैन पवित्र कुम्भ मेला 12 वर्षों में एक बार लगता है।

पुण्य सलिला क्षिप्रा के तट के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग स्थान है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त होता है, उसका काल कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा इस प्रकार है, अवंति नगरी में शुभ कर्मपरायण तथा सदा वेदों के स्वाध्याय में लगे रहने वाला एक वेदप्रिय नामक ब्राह्मण रहता था। जिसके चार संस्कारी और आज्ञाकारी पुत्र थे। उस समय रत्नमाला पर्वत पर दूषण नामक एक असुर ने धर्मविरोधी कार्य आरंभ कर रखा था। सबको स्थानों को नष्ट कर देने के बाद उस असुर ने अवंति (उज्जैन) पर भारी सेना लेकर आक्रमण कर दिया था। अवंति नगर के सभी निवासी जब उस संकट में घबराने लगे, तब वेदप्रिय और उसके चारों पुत्रों के साथ सभी नगरवासी शिवजी के पूजन में तल्लीन हो गए। भगवान शिवजी के पूजन में तल्लीन होने पर भी, दूषण ने ध्यानमग्न नगर वासियों को मारने का आदेश दिया। तब भी वेदप्रिय के पुत्रों ने सभी नगर वासियों को भगवान शिव के ध्यान में मग्न रहने को कहा।

असुर दूषण ने देखा कि यह डरने वाले नहीं हैं तो इन्हें मार दिया जाए और जैसे ही वह आगे बढ़ा, त्योंहि शिव भक्तों द्वारा पूजित उस पार्थिवलिंग से विकट और भयंकर रूपधारी भगवान शिव प्रकट हुए और वहा उपस्थित सभी दुष्ट असुरों का नाश कर, महाकाल के रूप में विख्यात हुए। शिव ने अपने हुंकार से सभी दैत्यों को भस्म कर उनकी राख को अपने शरीर पर लगाया। इसी कारण से इस मंदिर में महाकाल को भस्म लगाई जाती है। महाकाल मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के गर्भगृह में निकास का द्वार दक्षिण दिशा की ओर से है। जो की तांत्रिक पीठ के रूप में इसे स्थापित करता है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित होने वाली दैनिक आरतिया

भस्मार्ती
प्रात: 4 बजे श्रावण मास में प्रात: 3 बजे महाशिवरात्रि को प्रात: 2:30 बजे

दध्योदन आरती
चैत्र से आश्विन तक प्रात: 7 से 7:45 तक, कार्तिक से फाल्गुन तक प्रात: 7:30 से 8:15 तक

महाभोग आरती
चैत्र से आश्विन तक प्रात: 10 से 10:45 तक कार्तिक से फाल्गुन तक प्रात: 10:30 से 11:15 तक

सांध्य आरती
चैत्र से आश्विन तक संध्या 5 से 5:45 तक कार्तिक से फाल्गुन तक संध्या 5:30 से 6:15 तक

पुन: सांध्य आरती
चैत्र से आश्विन तक संध्या 7 से 7:45 तक कार्तिक से फाल्गुन तक संध्या 6:30 से 7:15 तक

शयन आरती
चैत्र से आश्विन तक रात्रि 10:30 बजे कार्तिक से फाल्गुन तक रात्रि 11:00 बजे

Mahakaal Jyotirlinga Temple Locatioin

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