कुसुम वन सरोवर गोवर्धन
कुसुम सरोवर एक एतिहासिक स्थान है जो गोवर्धन, जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित है। कुसुम वन सरोवर पवित्र गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित है। यह गोवर्धन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है।
यहां के प्राचीन सरोवर को मध्य प्रदेश के बुंदेला राजा वीरसिंह देव ने 17वीं शताब्दी में पक्का बनवाया था। तत्पश्चात् राजा सूरजमल ने इसका जीर्णोद्धार कराकर इसे भव्य सरोवर का स्वरूप प्रदान किया। सरोवर के पश्चिम में राजा जवाहर सिंह ने अपने पिता राजा सूरजमल और अपनी तीनों माताओं किशोरी, हंसिया तथा लक्षमी की समृति में एक ऊंचे चबूतरे पर अत्यंत कलात्मक छतरियों का निर्माण कराया। मुख्य छतरी राजा सूरजमल सिंह की है।
कुसुम सरोवर श्री राधाकृष्ण महत्व
एक समय राधा रानी और सारी सखियाँ फूल चुनने कुसुम सरोवर गोवेर्धन मे पहुची राधा रानी और सारी सखियाँ फुल चुनने लगी और राधा रानी से बिछड़ गयी। और राधा रानी की साड़ी कांटो में उलझ गई। इधर कृष्ण को पता चला के राधा जी और सारी सखियाँ कुसुम सरोवर पे है। कृष्ण माली का भेष बना कर सरोवर पे पहुँच गये और राधा रानी की साड़ी काँटो से निकाली और बोले हम वन माली है इतने में सब सखियाँ आ गई।
माली रूप धारी कृष्ण बोले हमारी, अनुपस्थिति मे तुम सब ने ये बन ऊजाड़ दिया इसी नोक झोक मे सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये। राधा रानी को इतने मे माली बने कृष्ण की वंशी दिख गई और राधा रानी बोली ये वन माली नही वनविहारी है। राधा रानी बोली ये सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये और इनपे मिट्टी लग गई, कृष्ण बोले मे इन्हें यमुना जल में धो के लाता हूँ। राधा रानी बोली तब तक बहुत समय हो जायेगा हमे बरसाना भी जाना है। तब कृष्ण ने अपनी वंशी से एक सरोवर का निमा्ण किया जिसे आज कुसुम सरोवर कहते हैं। और पुष्प धोये और राधा रानी की चोटी का फुलो से श्रृंगार किया राधा रानी हाथ मे दर्पण लेकर माली बने कृष्ण का दर्शन करने लगी।
आज भी कुसुम सरोवर पे प्रिया-प्रियतम जी का पुष्पो से श्रृंगार करते है पर हम साधारण दृष्टी बाले उस लिला को देख नही पाते।
प्रेम से बोलो जय श्री राधेश्याम!!