Kuber Ka Ahankaar

0
54
Kuber Ka Ahankaar
Kuber Ka Ahankaar

कुबेर का अहंकार

कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, पर कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची और उसमे तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया! भगवान शिव उनके इष्ट देवता थे। इसलिए उनका आशीर्वाद लेने वह कैलाश पहुंचे और कहा : प्रभू, आज मै तीनों लोकों में सबसे धनवान हूं।

यह सब आप ही की कृपा है, मै अपने निवास पर एक भोज का आयोजन करने जा रहा हूं। कृपया आप परिवार सहित भोज में पधारने की कृपा करें ! भगवान शिव कुबेर के मन का अहंकार ताड़ गए, बोले, वत्स ! मैं कहीं बाहर नहीं जाता, पर अपने छोटे बेटे गणपति को तुम्हारे भोज मे आने को कह दूंगा। नियत समय पर कुबेर ने भव्य भोज का आयोजन किया, तीनों लोकों के देवता पहुंच चुके थे।

अंत मे गणपति आए और आते ही कहा, मुझको बहुत तेज भूख लगी है। भोजन कहां है! कुबेर उन्हें भोजन से सजे कमरे मे ले गये, सोने की थाली में भोजन परोसा गया, क्षण भर में ही सारा भोजन खत्म हो गया। दोबारा परोसा गया, उसे भी खा गए, बार-बार खाना परोसा जाता और क्षण भर में गणेश जी उसे चट कर जाते, थोड़ी ही देर में हजारों लोगों के लिए बना भोजन खत्म हो गया।

लेकिन गणपति का पेट नहीं भरा! वे रसोईघर में पहुंचे और वहां रखा सारा कच्चा सामान भी खा गए, तब भी भूख नहीं मिटी। जब सब कुछ खत्म हो गया तो गणपति ने कुबेर से कहा, जब तुम्हारे पास मुझे खिलाने के लिए कुछ था ही नहीं तो तुमने मुझे न्योता क्यों दिया था ? कुबेर का अहंकार चूर-चूर हो गया !

भावार्थ : आपके पास कितना भी ज्ञान क्यों ना हो यदि आप सामने वाले को संतुष्ट नहीं कर सकते, उसकी ज्ञान रुपी भूख को शांत नहीं कर सकते तो आप के विद्वान होने का कोई मतलब नहीं है।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here