Karma Bai Ka Prem

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Govind Devji Temple

कर्मा बाई का प्रेम

कर्मा बाई जी कोई भी काम करते समय भगवान के नामो का उच्चारण करती रहती थी। उनका हर काम भगवान के लिए ही होता था। वे यदि कंडे भी थापती थी तो भी भगवान का गान करती रहती थी। एक बार उनके कंडे किसी ने चोरी कर लिए, ये जानकर उन्हें बड़ा दुःख हुआ। तब किसी ने कहा – हम घर घर जाकर लोगो से पूँछेगे, हम पता लगायेगे आप हमारे साथ चलिए।

कर्मा बाई जी उसके साथ गई, और हर घर में जाकर कंडे उठाती और अपने कानो से लगाती। लोगो को बड़ा आश्चर्य हुआ की ये क्या कर रही है, इसी प्रकार बहुत से घरों में गई। जब वे एक घर में गई, और जैसे ही उन्होंने कंडे को उठाकर अपने कानो से लगाया, वे तुरंत बोली ये ही मेरे कंडे है।

तब सबने पूंछा आप को कैसे पता, तो कर्मा बाई जी बोली, जब में ने इन कन्डो को कान से लगाया तो इसमें से भगवान नाम की ध्वनि निकल रही थी। क्योकि में जब कंडे थापती हूँ तो भगवान नाम का उच्चारण करती जाती हूँ,

भगवान की पूजा भाव से प्रेम से की जानी चाहिये। यदि भाव नहीं, तो ये साफ सफाई, नहाना धोना, तो सिर्फ एक आडम्बर मात्र रह जायेगे।

करमा बाई का लोक गीत

थाली भर कर लाई रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी।
जीमो म्हारा श्यामधणी, जीमावे बेटी जाट की।।
बाबो म्हारो गाँव गयो है, कुण जाणै कद आवैलो।
बाबा कै भरोसे सावरा, भूखो ही रह ज्यावैलो।।
आज जीमावूं तन खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ छाछ की। जीमो म्हारा…..
बार बार मंदिर ने जड़ती, बार-बार पट खोलती।
जीमै कैयां कोनी सांवरा, करड़ी करड़ी बोलती।।
तू जीमै जद मैं जीमू, मानूं न कोई लाट की ।। जीमो म्हारा…..
परदो भूल गयी रे सांवरिया, परदो फेर लगायो जी।
धाबलिया कै ओले, श्याम खीचड़ो खायोजी।।
भोला भक्ता सूं सांवरा, अतरी काँई आंट जी। जीमो म्हारा…..
भक्त हो तो करमा जैसी, सांवरियो घर आयोजी।।
भाई लोहाकर, हरख-हरख जस गायोजी।
सांचो प्रेम प्रभु में हो तो, मूर्ती बोलै काठ की ।। जीमो म्हारा…..

श्री द्वारिकेशो जयते।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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