Kalayug Mein Bihaaree Jee Ka Saakshaatkaar

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Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya
Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya

कलयुग में बिहारी जी का साक्षात्कार

बिहारी जी का एक पंजाब का पागल था जो हर पल हर क्षण बिहारी जी के नाम में मस्त रहता था यु तो उसके पास बिहारी जी का दिया सब कुछ था बस एक छोटी सी इच्छा थी एक औलाद की शादी के दस साल बीत गए पर औलाद की इच्छा पुरी ना हुई लोग उसे तरहा तरहा के तरिके बताते पर वो हर एक से ये ही कहता जब बिहारी जी चाहेंगे तब ही होगा

एक दिन वो अपने पुरे परिवार के साथ बिहारी जी के दर्शन को गया बिहारी जी को खुब लाड लडाया खुब प्यार जताया और आंखों ही आंखों मे अपनी इच्छा बता दी वो परिवार जैसे ही शयन आरती के बाद बाहर आया पर उस पागल का दिल बिहारी जी की चौखट पे रात बिताने को था सारा परिवार अपने आश्रम चला गया और वो पागल बिहारी जी की चौखट को लाड लडाने लगा तभी उसने एक बच्चे की रोने की आवाज सुनी वो खड़ा होकर इधर उधर भागा उसने देखा बिहारी जी के पयाऊ पे एक बच्चा पीतामबर से लिपटा पड़ा है उसने उस बच्चे को उठाया और उसके माता पिता को ढुढने लगा काफी देर के बाद भी कोई उस बच्चे का अपना ना मिला तभी एक गोस्वामी ने उसको आवाज लगाई और उसे अपने सपने की सारी बात बताई जिसे सुनकर वो पागल हैरान रह गया

गोस्वामी बोले प्यारे आज बिहारी जी पहली बार मेरे सपने मे आऐ और बोले मेरा एक पागल मेरी चौखट पे एक बच्चे को लेकर भाग दौड़ कर रहा है उसे जाकर कहो वो बच्चा मैंने ही उसे दिया है वो उसके लिए ही है उसे हमेशा अपने साथ रखे

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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