Jab Saara Jeevan Hee Use Saump Diya To Kya Hisaab Rakhana

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Jab Saara Jeevan Hee Use Saump Diya To Kya Hisaab Rakhana
Jab Saara Jeevan Hee Use Saump Diya To Kya Hisaab Rakhana

जब सारा जीवन ही उसे सौंप दिया तो क्या हिसाब रखना

गाँव की एक अहीर बाला दूध बेचने के लिये रोजाना दूसरे गाँव जाती। रास्ते में एक नदी पड़ती। नदी किनारे दूध का डिब्बा खोलती और उसमें से एक लोटा दूध निकालती। दूध के डिब्बे में एक लोटा पानी मिलाती और नदी पार के गाँव की ओर चल पड़ती दूध बेचने। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी। नदी किनारे एक वृक्ष पर संत मलूकदास जी जप माला फेरते हुऐ इस अहीर बाला की गतिविधियों को रोज आश्चर्य से देखा करते। एक दिन उनसे रहा नहीं गया और ऊपर से आवाज लगा ही दी।

बाबा — बेटी सुनो!
अहीर बाला — हाँ! बाबा। बोलिये ना।
बाबा — बुरा न मानो तो तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ।
अहीर बाला — पूछिये ना बाबा। आपकी बात भी कोई बुरा मानने की होती है क्या?
बाबा — बेटी! मैं रोज देखता हूँ। तुम यहाँ आती हो। दूध के डिब्बे में से एक लोटा दूध निकालती हो और डिब्बे में एक लोटा पानी मिला देती हो? क्यों करती हो तुम ऐसा? अहीर बाला — लड़की ने नज़रें नीची कर ली। कहा— बाबा! मैं जिस गाँव में दूध बेचने जाती हूँ ना..वहाँ मेरी सगाई पक्की हुई है। मेरे वो वहीं रहते हैं। जबसे सगाई हुई है मैं रोज एक लोटा दूध उन्हें ले जाकर देती हूँ। दूध कम न पड़े इसलिये एक लोटा पानी डिब्बे में मिला देती हूँ…
बाबा — पगली तू ये क्या कर रही है? कभी हिसाब भी लगाया है तूने? कितना दूध- पानी कर चुकी है अभी तक तू। अपने मंगेतर के लिये?
अहीर बाला — लड़की नें नज़रें तनिक उठाते हुऐ उत्तर दिया– बाबा! जब सारा जीवन ही उसे सौंपने का फैसला हो गया तो फिर हिसाब क्या लगाना? जितना दे सकी दिया..जितना दे सकूंगी देती रहूंगी।

मलूक दास जी के हाथ से माला छूट कर नदी में जा गिरी।उस अहीर बाला के पाँव पकड़ लिये उन्होंने— बेटी! तूने तो मेरी आँखें ही खोल दी। माला का हिसाब लगाते लगाते मैंने तो जप का मतलब ही नहीं समझा। जब सारा जीवन ही उसे सौंप दिया तो क्या हिसाब रखना? कितनी माला फेर ली?
यह है प्रेम…

हरी बोल
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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