गोपी वल्लभ भगवान की जय, राधा सखी की जय
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
सात सखी जमुना जल उतरीं। धर दिए चीर उतारी, मैं कैसे करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
चीर चुराय कदम चढ़ि बैठे। हम जल बीच उघारी, मैं कैसे करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
हाथ जोड़ हम बिनती करत हैं। दै जाओ चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
तुम्हारा चीर तभी हम दैंगे। जल से हो जाओ न्यारी, मैं कैसे करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
जल से न्यारी जो हम होंगी। लोग हँसेंगे दै दै तारी, मैं कैसे करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
लोग हँसेंगे तुम्हारा क्या रे करेंगे। तुम हो पुरुष हम हैं नारी, मैं कैसी करूँ।।
लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ। लै गए चीर मुरारी, मैं कैसे करूँ।।
”राधा सखी” धन्य ब्रज की गोपी। भव सागर प्रभु तारीं, मैं कैसे करूँ।। राधा सखी
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय ।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ।
श्री कृष्ण शरणम ममः