Eeshvar Sada Hamaare Kareeb Hai Bahut Jyaada Kareeb Hai

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Bhagwan Govind Devji Darshan
Bhagwan Govind Devji Darshan

ईश्वर सदा हमारे करीब है बहुत ज्यादा करीब है

एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर भगवान से मिलने की जिद किया करता था। उसे भगवान् के बारे में कुछ भी पता नही था पर मिलने की तमन्ना, भ रपूर थी।उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो भगवान के सांथ खाये। 1 दिन उसने 1 थैले में 5 ,6 रोटियां रखीं और परमात्मा को को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया।

उसने देखा नदी के तट पर 1 बुजुर्ग माता बैठी हुई हैं,जिनकी आँखों में बहुत गजब की चमक थी, प्यार था,और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहां बैठी उसका रास्ता देख रहीं हों। वो 6 साल का मासूम बालक बुजुर्ग माता के पास जा कर बैठ गया, अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया। फिर उसे कुछ याद आया तो उसने अपना रोटी वाला हाँथ बूढी माता की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा, बूढी माता ने रोटी ले ली , माता के झुर्रियों वाले चेहरे पे अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे बच्चा माता को देखे जा रहा था , जब माता ने रोटी खा ली बच्चे ने 1 और रोटी माता को दी। माता अब बहुत खुश थी। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताये।

जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाजत ले घर की ओर चलने लगा वो बार बार पीछे मुड कर देखता ! तो पाता बुजुर्ग माता उसी की ओर देख रही होती। बच्चा घर पहुंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी। बच्चा बहूत खुश था। माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा।

तो बच्चे ने बताया!

माँ, आज मैंने भगवान के सांथ बैठ क्ऱ रोटी खाई, आपको पता है उन्होंने भी मेरी रोटी खाई माँ भगवान् बहुत बूढ़े हो गये हैं। मैं आज बहुत खुश हूँ माँ ! उस तरफ बुजुर्ग माता भी जब अपने घर पहूँची तो गाव वालों ने देखा माता जी बहुत खुश हैं,तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण पूछा। माता जी बोलीं, मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेली भूखी बैठी थी,,मुझे पता था भगवान आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे। आज भगवान् आए थे, उन्होंने मेरे सांथ बैठ के रोटी खाई मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई,बहुत प्यार से मेरी और देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया,,भगवान बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।

इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है।

असल में बात सिर्फ इतनी है की दोनों के दिलों में ईश्वर के लिए प्यार बहुत सच्चा है ।
और ईश्वर ने दोनों को ,दोनों के लिये, दोनों में ही।( ईश्वर)खुद को भेज दिया।

जब मन ईश्वर भक्ति में रम जाता है तो
हमे हर एक में वो ही नजर आता है।

ईश्वर सदा हमारे करीब है बहुत ज्यादा करीब है,हमारे आस पास वो ही वो रहता है। जब हम उसके दर्शन को सही मायनो में तरसते है तो हमे हर जगह वो ही वो दिखता है। हर 1 में वो ही दिखता है चाहे वो हमारा दुश्मन ही क्यूँ न हो।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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