Buddhi Bhee Jab Kathin Chunautiyon Ka Saamana Karatee Hai Tab Adhik Tejasvee Banatee Hai

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Buddhi Bhee Jab Kathin Chunautiyon Ka Saamana Karatee Hai Tab Adhik Tejasvee Banatee Hai
Buddhi Bhee Jab Kathin Chunautiyon Ka Saamana Karatee Hai Tab Adhik Tejasvee Banatee Hai

बुद्धि भी जब कठीन चुनोतियों का सामना करती है तब अधिक तेजस्वी बनती है

मनुष्य का स्वभाव है कि वह स्वंय को, अपने परिवार को, अपनी सन्तानों को अधिकतम सुख प्राप्त हो… ऐसी इच्छा रखता है! इसी कारण हम सदा श्रम और कष्ट से अन्तर(दूरी) रखते हैं , विश्राम और सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। स्वंय अपने जीवन का विचार कीजिए? क्या यह सत्य नही कि हम अपनी सन्तानों के लिए सदा ही विश्राम और सुविधाओं का आयोजन करते हैं।

पर क्या कभी सोचा है? केवल विश्राम से क्या लाभ प्राप्त होता है? केवल सुख और सुविधा… जिन्हे प्राप्त हो उनका जीवन कैसा होता है? शरीर जब श्रम करता है तो अधिक स्वस्थ बनता है, बुद्धि भी जब कठीन चुनोतियों का सामना करती है तब अधिक तेजस्वी बनती है। यह हम सबका अनुभव है। पर हम शायद यह भूल जाते हैं कि (मन और आत्मा) को जब अधिक कठीनाईयाँ प्राप्त होती हैं तब वह भी अधिक बलवान होती हैं। अर्थात जब भी हम अपनी सन्तानों को श्रम और दुख से दूर रखने का प्रयास करते हैं! तो क्या वास्तव मे उनके सुख का मार्ग बन्द नही कर देते?

स्वंय विचार कीजिए!!!!
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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