Brijdham Ki Parikrama Kyu ?

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Shri Banke Bihari Ji Vrindavan
Shri Banke Bihari Ji Vrindavan

बृजधाम की परिक्रमा क्यों ?

हमारे भारत देश की पवित्र भूमि ब्रज का स्मरण करते ही हृदय प्रेम रस से सराबोर हो जाता है, एवं श्री कृष्ण के बाल रूप की छवि मन-मस्तिष्क पर अंकित होने लगती है। ये ब्रज की महिमा है की सभी तीर्थ स्थल भी ब्रज में निवास करने को उत्सुक हुए थे एवं उन्होने श्री कृष्ण से ब्रज में निवास करने की इच्छा जताई। ब्रज की महिमा का वर्णन करना बहुत कठिन है क्योंकि इसकी महिमा गाते गाते ऋषि-मुनि भी तृप्त नहीं होते।

Shri Dwarkadhish Maharaj Temple Mathura
Shri Dwarkadhish Maharaj Temple Mathura

भगवान श्री कृष्ण द्वारा वन गोचारण से ब्रज रज का कण-कण कृष्णरूप हो गया है, तभी तो समस्त भक्त जन यहाँ आते हैं और इस पावन रज को शिरोधार्य कर स्वयं को कृतार्थ करते हैं। ब्रज में तो विश्‍व के पालनकर्ता माखनचोर बन गये। इस सम्पूर्ण जगत के स्वामी को ब्रज में गोपियों से दधि का दान लेना पड़ा। जहाँ सभी देव, ऋषि मुनि, ब्रह्मा, शंकर आदि श्री कृष्ण की कृपा पाने हेतु वेद-मंत्रों से स्तुति करते हैं, वहीं ब्रजगोपियों की तो गाली सुनकर ही कृष्ण उनके ऊपर अपनी अनमोल कृपा बरसा देते हैं।

Govardhan Parikrama Marg Govardhan Parvat
Govardhan Parikrama Marg Govardhan Parvat

ब्रज के कण-कण मैं लीलाधारी श्रीकृष्ण की लीलाओं के चमत्कार आज भी प्रत्यक्ष देखे जा सकते हैं। आवश्यकता है तो सिर्फ प्रगाढ़ आस्था और विश्वास की। समूचे भारतवर्ष से ही नहीं अपितु विदेशों से भी अनेक कृष्ण भक्त यहां पर आते हैं और श्री राधा कृष्ण जी के चमत्कारों के आगे नतमस्तक होकर यहां की रज को अपने मस्तक पर लगाकर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं।

मनुष्य जन्म से मृत्यु तक सांसारिकता में फंसा अनेक कामनाओं की पूर्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता रहता है। किसी की पुत्री या पुत्र का विवाह नहीं हो रहा, किसी को संतान की प्राप्ति नहीं होती तो किसी की नौकरी नहीं लग रही या फिर किसी को धन की प्राप्ति नहीं हो रही।

Shri Dauji Maharaj Darshan Dauji Gaon Mathura
Shri Dauji Maharaj Darshan Dauji Gaon Mathura

सभी इच्छित कामनाओं की पूर्ति का सहज उपाय पूरी आस्था और विश्वास के साथ ब्रज चौरासी कोस दर्शन परिक्रमा है।

रस का हो रास जहां चित्र का विलास जहां।
इस धाम का ही नाम, यहां ब्रजधाम है।

राग का हो दास जहां तृप्त होती प्यास जहां।
उस धाम का ही नाम, यहां ब्रजधाम है।

बावरे नयन से ही सांवरे मिलेंगे जहां।
उस धाम का ही नाम, यहां ब्रजधाम है।

मुक्ति भी मुक्ति की कामना लिए हो जहां।
उस धाम का ही नाम, यहां ब्रजधाम है।

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