श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। श्री भीमाशंकर के शिवलिंग को ही शिव का छठा ज्योतिर्लिंग कहते हैं। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। भीमाशंकर मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सभी जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा इस प्रकार है कि पूर्व समय में भीम नामक एक महाबलशाली राक्षस हुआ करता था। वह राक्षस महाकाय कुंभकर्ण और कर्कट की पुत्री कर्कटी से उत्पन्न हुआ था। उस राक्षस ने संकल्प लेकर ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने हेतु एक हजार वर्ष तक तप किया। उसकी तपस्या से पितामह ब्रह्माजी प्रसन्न हो गए। ब्रह्माजी भीम को अतुलनीय बल प्रदान किया। ब्रह्मा के वरदान के कारण भीम ने इंद्र सहित सभी देवताओं को हरा दिया।

Bhimashankar Jyotirlinga Temple

यहां तक की श्रीहरि विष्णु ही को भी परास्त कर दिया। इस विश्व विजयी अभियान में भीम ने भगवान शिव के परम भक्त सुदक्षिण को युद्ध में परास्त कर दिया। राजा सुदक्षिण को असुर भीम ने कारागार में बंद कर दिया। तब राजा ने भगवान शिव जी की उत्तम पार्थिव मूर्ति बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। देवताओं और ऋषियों ने महाकोशी नदी के किनारे भोलेनाथ की स्तुति की। तब भगवान शिव ने राक्षस का वध किया और तभी से भीमशंकर शिवलिंग विख्यात हुआ।

Bhimashankar Jyotirlinga Temple Location

Jyotirlinga Temples of Lord Shiva | Popular Shiva Temples in India

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