भजन सिमरन के लिए उचित समय
संत सतगुरु द्वारा भजन सिमरन के लिए अमृत वेले का उचित समय सुबह 3:00 से 5:30 बजे का होता हैं। क्योंकि अमृत का मतलब होता हैं रस और वेले का अर्थ हैं घड़ी व समय। यानि ये समय (3:00 से 5:30) ऐसा होता हैं जिस समय हमें सांसारिक कोई भी काम काज नहीं होता हैं और हर जगह शांति होती हैं और हमारा मन भी बिल्कुल शांत होता हैं। ऐसे समय में हमारा ध्यान भी भजन सिमरन में बहुत जल्दी लगता हैं और आंतरिक रस भी प्राप्त होता हैं।
इसलिए यह समय सबसे उचित रहता हैं। वैसे इस समय हम जीवों को नींद भी बहुत सताती हैं और मन भी नहीं लगता हैं। उसके लिए भी हुज़ूर महाराज जी ने कहा हैं कि भजन सिमरन में आपका मन लगे चाहे न लगे लेकिन तुम फर्ज समझ कर बैठों, डयूटी समझ कर बैठो। जो घड़ी दो घड़ी आप मालिक की याद में बैठोगे वो आपके लेखे में लिखा जायेगा।
एक जगह बड़े महाराज जी ने भी कहा हैं कि अगर आप सफल नहीं हो पाते हो तो आप अपनी असफलताओं को भी मेरे पास लाओ क्योंकि आपकी असफलता में ही आपकी सफलता छुपी हुई हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे स्कूल में बच्चे की क्लास शुरू होने से पहले अध्यापक बच्चों के नाम बोलता है। जिस बच्चे का नाम बोला जाता हैं, वो बच्चा ऊँची आवाज में जवाब देता हैं तो टीचर उसकी हाज़िरी लगा देता है। अगर कोई बच्चा सो जाये और जवाब न दे तो उनकी गैर हाज़िरी लगती है।
एक बार गैर हाजिरी लग गयी तो फिर बाद में कोई सुनवाई नही होती। रोज रोज गैर हाजिर होने से वो बच्चा एग्जाम में पास नही हो पाता । इसी प्रकार सतगुरू जी सुबह अमृत वेले अपना रजिस्टर ले कर आते है।
जो प्रेमी जीव सिमरन करते है उनकी हाजिरी उसके दरबार में लग जाती है। जो सोये रहते है उनकी गैर हाजिरी लग जाती है। फिर बाद में कोई सुनवाई नही होती। बच्चे की क्लास की तरह रोज रोज उसके दरबार में भी गैर हाजिरी लगने से भव सागर को पास करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हम सत्संगी जीवों भी चाहिए की सुबह उस मालिक की दरगाह में अपनी हाजिरी जरूर लगवाएं जी।
जय श्री कृष्ण
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः