भजन: बाँके बिहारी की बाँकी मरोर
मेरे बाँके बिहारी की बाँकी मरोर चित्त लीना है चोर।
बाँका मुकुट बाँके कुण्डल विशाल, गल हार हीरों का मोतिन की माल।
बाँके के पटका का लटका है छोर, चित लीना है चोर।।
कमलों से कोमल है बाँके चरन, हैं श्याम सुन्दर मनोहर वरण।
भक्तों की प्रीत जैसे चन्दा चकोर, चित लीना है चोर।।
मुंदरी जुड़ाऊँ जवाहरात की, बाँकी लकुटिया सजी हाथ की।
बाँके पीताम्बर की झलके किनोर, चित लीना है चोर।।
बाँकी है झाँकी और बाँकी अदा, भक्तों के काज संवारे सदा।
मो जैसे दीनों की सुन लो निहोर, चित लीना है चोर।।