श्री श्री ठाकुर गोविंददेव जी की आरती

हरत सकल संताप जगत को
मेरी जनम जनम की पाप हरो।

गौर जनमी पाप हरो, सकल संताप हरो।

हरत सकल संताप जतग कों ।
मिटल तलपो यम काल की ।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। १ ।।

गोघृत-रचित कपूर की बाती ।
झलकत काचन थाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। २ ।।

चन्द्र कोटि कोटि, भानु कोटि एक छवि ।
मुख शोभा नन्दलाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ३ ।।

चरण कमल पर नापुर बाजे ।
गले झूले वैजयन्ती माला की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ४ ।।

मयूर मुकुट, पीताम्बर सोहे ।
बाजत वेणु रसाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ५ ।।

सुन्दर लोल कपोलन कीया एक छवि ।
निरखत मदन गोपाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ६ ।।

सुर-नर मुनिगण हेरतहिं आरति ।
भगत – वत्सल – प्रतिपाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ७ ।।

बाजे घंटा ताल मृदंग झंझोरे ।
अंजलि कुसम गुलाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ८ ।।

हूँ  हूँ बोलि बोलि रघुनाथ दास गोस्वामी ।
मोहन गुलाल लाल की ।।

आरती कीजे श्री राधा गोविंद गोपाल की ।। ८ ।।