सुनिए विनय गुरु, दीन हृदय की

चरण में रखना, शरण में रखना। हरदम तेरी ही लगन में रखना।।
सुख के उजाले हों, दु:ख के अँधेरे। जो भी हो हरदम, मगन में रखना।।
साँसों की माला, सिमरण के मोती। मन नहीं भटके, जपन में रखना।।
पलकें जो मूंदूँ, तेरे हों दर्शन। हरदम इसी, तड़पन में रखना।।
शून्य गगन में, दृष्टि न डोलै। धारों को ऐसे, मिलन में रखना।।
गुरु तू पुकारे, नित धुर घर से। तार न छूटे, भजन में रखना।।
सुनिए विनय गुरु, दीन हृदय की । “दास” को अपनी, शरण में रखना।।
जय जय श्री राधे कृष्णा। जय जय श्री राधे श्याम।।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः